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SC/ST Act's (कुल प्रश्न:54)
भारतीय संसद द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 पारित किया गया इस अधिनियम की धारा 1 के अनुसार जम्मू कश्मीर को छोड़कर यह अधिनियम संपूर्ण भारत में 30 जनवरी 1990 से लागू हुआ
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा 2 (1) (क) के अनुसार अत्याचार से धारा 3 के अधीन दंडनीय अपराध अभिप्रेत है अर्थात इस अधिनियम की धारा 3 में उल्लेखित अपराध अत्याचार माने गए हैं
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 में संशोधन के लिए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम 1915 में लाया गया जिसे 31 दिसंबर 2015 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली
एससी एसटी एक्ट 1989 की धारा 3 इस अधिनियम के तहत किए गए अत्याचार के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करती है अधिनियम की धारा 3(1) के अनुसार अत्याचार के अपराध में वह व्यक्ति दंडित किया जा सकता है जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है
भारतीय समाज में सदियों से पिछड़े और उपेक्षित वर्ग को समाज की मुख्यधारा में लाने तथा उन्हें शोषण से बचाने के लिए संविधान के प्रावधानों को साकार रूप देने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम भारत के गणतंत्र के 40 वर्ष में पारित किया गया
इस अधिनियम में कुल 23 धाराएं हैं तथा 5 अध्याय हैं इस अधिनियम का संख्या अंक 33 है
धारा 14 में विशेष न्यायालय के रूप में निर्दिष्ट कोई सेशन न्यायालय से अभिप्रेत है
यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति की महिला का अनादर करने या उसकी लज्जा भंग करने के आशय से हमला करता है या बल का प्रयोग करता है तो वह कम से कम 6 माह के कारावास और अधिकतम 5 वर्ष के कारावास से और जुर्माने से दंडनीय किया जा सकता है
भारतीय समाज में सदियों से पिछड़े और उपेक्षित वर्ग को समाज की मुख्यधारा में लाने तथा उन्हें शोषण से बचाने के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं इन्हीं में से एक प्रावधान अनुच्छेद 17 में किया गया है जिसके द्वारा अस्पृश्यता का अंत किया गया है संविधान के अनुच्छेद 17 में परिपालन में ही सिविल संरक्षण अधिकार अधिनियम 1955 तथा sc-st एक्ट 1989 पारित किए गए
3(२)(i) के अनुसार कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है मिथ्या साक्ष्य देगा या घटेगा जिससे उसका आशय अनुसूचित जाति या जनजाति के किसी सदस्य को किसी ऐसे अपराध के लिए जो तत्सम शब्द विधि द्वारा मृत्युदंड से दंडनीय है दोष सिद्ध करता है या वह जानता है कि उसका दोस्ती होना संभव है वह आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडनीय होगा
प्रश्न में दिए गए विकल्पों में से शक्तियों का प्रदान किया जाना धारा 9 के अंतर्गत आता है वही धारा 8 के अंतर्गत अपराधों के बारे में उप धारणा से संबंधित है